द्रौपदी मुर्मू
आज पूरे देश में चारों ओर बस एक ही बात की चर्चा है। वो है राष्ट्रपति चुनाव की।
जब बात राष्ट्रपति चुनाव की है है तो बात उसके कैंडिडेट की भी हो रही है।
दो प्रत्याशी मुख्य रूप से खड़े होते है इस चुनाव में। एक सत्ता पक्ष का,दूसरा विपक्ष का।
कैसी विडंबना है जो विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो खड़े है, कभी वो सत्ता दल के रीढ़ हुआ करते थे। मत भेद ने इस स्तर पर पहुंचा दिया की उन्हें आज जो कभी अपनी हुआ करती थी उसी पार्टी के खिलाफ खड़े है। यशवंत सिन्हा एक कद्दावर नेता है जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। यशवंत सिन्हा (जन्म: 6 नवम्बर 1937, पटना)[1] एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व वरिष्ठ नेता और तृणमूल कांग्रेस के नेता रहे है | वे भारत के पूर्व वित्त मंत्री रहने के साथ-साथ अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री भी रह चुके हैं।
विपक्ष ने उन्हें राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है।
द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ किया था।
उन्होंने भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। साथ ही वह भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं है।
द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में भाजपा के टिकट पर दो बार जीती और विधायक बनीं। ओडिशा में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार में द्रौपदी मुर्मू को 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री बनाया गया था
द्रौपदी मुर्मू मई 2015 में झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गई थीं।
झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का खिताब भी द्रौपदी मुर्मू के नाम रहा। साथ ही वह किसी भी भारतीय राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली आदिवासी भी हैं।
द्रौपदी मुर्मू ने 24 जून 2022 में अपना नामांकन किया, उनके नामांकन में पीएम मोदी प्रस्तावक और राजनाथ सिंह अनुमोदक बने |
द्रौपदी जी को धीरे धीरे विरोधी पार्टियां भी समर्थन देने का एलान कर दी है। अब बस कुछ ही दिनों में देश के गौरवशाली इतिहास में एक पन्ना और जुड़ जाएगा। जब हमारी राष्ट्रपति एक आदिवासी महिला होगी। तब हर तबका अपने आप को गर्वांवित महसूस करेगा।
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