पल पल दिल के पास...
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ये कहानी है प्रणय और नियति की। निः स्वार्थ प्रेम की एक बिलकुल अलग कहानी। एक ऐसा प्रेम जो सिर्फ और सिर्फ अपने साथी की खुशी चाहता है।
प्रणय और नियति की मुलाकात एक सफर के दौरान होती है। प्रणय पहली मुलाकात में ही नियति पे अपना दिल हार जाता है। ये एहसास एक तरफा नही होता है। नियति को भी कुछ ऐसा ही महसूस होता है। पर नियति के सामने कुछ मजबूरियां है। वो अपने कदम इस राह में आगे नहीं बढ़ा सकती। उसे ये एहसास हो गया था की प्रणय उसे यूं ही नहीं जाने देगा अपनी जिन्दगी से। वो हर उस बाधा को, हर उस परेशानी को मेरी राह से दूर कर देगा। पर नियति को ये मंजूर नहीं। वो अपने सारे जज्बात को बहुत पहले ही दफन कर चुकी थी। इस लिए इस सब का कोई मतलब नहीं था उसके लिए। अपनी जिम्मेदारियां उसके लिए सबसे पहली प्राथमिकता थी। वो बिना प्रणय को कुछ भी बताए उससे दूर बहुत दूर चली जाती है।
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