भ्रष्टाचार

अरमां है अम्बर छूने की,
सच कैसे कर पाएंगे
भ्रष्टाचार के दलदल से
बाहर कैसे निकल पाएंगे
सपना देखा इन आंखों से
मुझको भी तो न्याय मिले
जीने और खाने का मुझको भी
अधिकार मिले
पर अदना सा ये सपना
सपना ही रह जाता है
भ्रष्टाचार का विषैला दानव*नीरजा*
सब स्वाहा कर जाता है

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