बस इतना सा हक दे दो मुझे
पढ़ेगी भी बेटी, बढ़ेगी भी बेटी,
पर जिएगी कैसे तू इतना बता दे।
पढ़ेगी तो बाहर निकलना भी होगा
अजनबी लोगों से मिलना भी होगा,
पर तू है भोली नाजो में खेली,
पोशिदा दरिंदों को पहचान न सकेगी।
ऐ मेरे मुंसिफ तू इतना बता दे कि
पढ़ेगी भी बेटी, बढ़ेगी भी बेटी,
पर जिएगी कैसे तू इतना बता दे
देखें है सपना बाबुल की अंखियां
बन के अफसर आऊंगी गलियां
घर से जो बाहर मैं चली आई,
संग में मैं उनकी निंदिया ले आई
ऐ मेरे मुंसिफ तू इतना बता दे
पढ़ेगी भी बेटी, बढ़ेगी भी बेटी,
हर पल ये दहशत है उनके दिल में,
वहषी दरिंदों से कैसे बचाऊ,
दुनिया की नजरों से कैसे छुपाऊं,
विनती जहां से करे हर बेटी,
कुमकुम महावर मुझे मत लगाओ,
दुर्गा का रूप मुझे मत बनाओ,
इतना बस मांगू ऐ मेरे मुंसिफ
बेटी हूं बेटी का हक दिलाओ,
नीरजा
Heart touching
जवाब देंहटाएं