तन्हाई

मर्म जीवन का जो समझ जाती,
ये जिंदगी कितनी सरल हो जाती।
वफ़ा की न होती तमन्ना किसी से,
फितरत जहां की जो समझ जाती,
अरमां दिलों में कभी न सजाती।
मर्म जीवन का जो समझ जाती,
ये जिंदगी कितनी सरल हो जाती।
सूनी थी दुनिया सूना जहां था,
आओगे तुम दिल को इसका यकीं था,
मर्म जीवन का जो समझ जाती,
ये जिंदगी कितनी सरल हो जाती।
तुमको भुला दूं या खुद को मिटा दूं,
ऐ मेरे हमदम तू मुझको बता दे। ‌‌‌‌
तन्हा ये जीवन जी ना सकूंगी,
तेरे बिना मैं रह ना सकूंगी।
मर्म जीवन का जो समझ जाती,
ये जिंदगी कितनी सरल हो जाती।

नीरजा

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