त्याग दो...।। 💔💔
त्याग दो बेशक मुझे
पर चैन तुम ना पाओगे
रूह में हूं मैं तुम्हारी
मुझ बिन जी न पाओगे
हर सांस में हर सोच में
हर शब्द में तेरी समाहित मैं ही हूं
हर घड़ी ,हर दिन हर
महीने और साल में
बिना शामिल मेरे ना होगा
कोई लम्हा तेरे ख्याल में
छीनना जो चाहे खुदा
उससे भी लड़ मैं जाऊंगी
पर तेरी रूखाई को मैं सह ना पाऊंगी
त्याग दो बेशक मुझे
Beautiful
जवाब देंहटाएंNice poem
जवाब देंहटाएंRita mishra.... buhut accha h
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