आज नैना का पूरा बदन तेज बुखार से तप रहा था। उसे इतनी भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो अपनी आंखे खोल कर घड़ी की ओर देख ले कि कितना समय हुआ है। ये तो अंदाजा हो रहा था कि रोज के उठने का समय बीत चुका है। पर और कितनी देर हो चुकी है इसका उसे पता नहीं चल पा रहा था। तभी भड़ाक से उसके कमरे का दरवाजा खुला। भतीजा सौम्य था। वो तुरंत ही उसके बिस्तर के पास आया और उसे हिला कर जगाते हुए बोला, "बुआ..! बुआ..! उठो ना..! कितना सो रही हो आज। देखो ना मेरी स्कूल बस के आने का टाइम हो रहा है। अभी तक ना आपने मुझे ब्रेक फास्ट दिया है। ना ही मेरा लंच बॉक्स तैयार किया है। क्या मैं भूखे.. बिना लंच लिए ही स्कूल चला जाऊं..?" नैना ने धीरे से अपनी आँखें खोली और सौम्य की ओर देख कर बोली, "बेटा...! मुझे तेज बुखार है। मेरी हिम्मत बिल्कुल भी नहीं हो रही है कि मैं उठ कर तुम्हारे लिए ब्रेक फास्ट, टिफिन तैयार कर सकूं। प्लीज अपनी मम्मी से तैयार करवा लो आज।" सौम्य बस नाम का ही सौम्य था। गुस्सा उसकी हरदम उसकी नाक पर रहता था। बुआ की बीमारी उसे बेवक्त आए मेहमान की तरह लगी। वो नैना का हाथ झटक कर पैर ...
Very nice
जवाब देंहटाएंnice line
जवाब देंहटाएंBahut accha
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