गुंजाइश तो रहती है कितना भी मुश्किल वक़्त हो अगर दृढ़ निश्चय कर लिया जाए तो राहें आसान हो जाती हैं। परिस्थितियां कैसी भी हो अपने मन में आशा की एक किरण को कभी बुझने नहीं देना चाहिए। मैं बचपन से ही लिखने का शौक रखती थी पर जिन्दगी की भाग दौड़ में ऐसे उलझी की कभी समय हीं नहीं मिला कि अपने इस शौक को पूरा कर पाती। एक कसक मन में रहती जब भी किसी का लिखा हुआ पढती तो अनेकानेक भाव मेरे मन में भी तैरने लगते । मैं इस बात को अपने अंदाज में इस तरह लिखती । पर फिर बात वहीं समाप्त हो जाती और मैं अपने डेली रूटीन में व्यस्त हो जाती । फिर अचानक ही से हम सब की जिंदगी में एक ऐसे वायरस ने दस्तक दी और सब कुछ बदल गया सब कुछ बंद हो गया स्कूल ,कालेज ,आफिस सब बंद हो गया।पर ये अनचाही छुट्टी कुछ ही दिनों में बोझ बनने लगी। बच्चों को अपने स्कूल की आन लाइन पढ़ाई-लिखाई पसंद नहीं आ रही थी मैंने एक दिन बच्चों को प्रेरित करने के लिए चार लाइन सुनाई वो लाइनें उन्हें इतनी अच्छी लगी ,कहने लगे कहा से पढ़ा फिर जब मैंने बताया खुद से बनाईं है फिर तो उनकी जिद हो गई और लिखो । इस तरह मुझे भी कुछ अपने मन का करना अच्छा...