जिन्दगी
ऐ जिन्दगी तू यूं न आजमा
बहुत हौसला है इस मेरे दिल में।
इन ठोकरों से विचलित जो हो जाऊं
मेरी तो ऐसी फितरत नहीं हैं।
जो मकसद रखोगे ऊंचा तुम अपना
परिश्रम तुम्हें भी तो करना हीं होगा।
समर्पित हृदय से करोगे जो कोशिश
मंजिल तो इक दिन क्यौ न मिलेगी।
चाहे तू जितना आजमा लें मुझको
मुझे मेरी मंज़िल से डिगा न सकेगा।
उड़ना है मुझको खुले आसमां में
ज़मीं पे तू मुझको गिरा न सकेगा
ऐ जिन्दगी तू यूं न
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