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वो नहीं जानता

वो नही जानता...अहमियत अपनी.. मेरी जिंदगी तो है मिल्कियत उसकी। उसके वजूद से है शख्शियत मेरी, समझेगा एक दिन वो हैसियत अपनी।

ऐसा तो पहली बार नही है

 ऐसा तो पहली बार नही है, आहत मन पहली बार नही है। कुछ अपने और परायों से, स्वाद चखा कई बार यहीं है। फिर मन तू क्यों रोता है...? ऐसा तो अक्सर होता है।
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