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मसीहा जन मानस का

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जब भी परिवर्तन की खातिर  कोई अलख जगाता है।  घोर घने अंधियारे में   जब कोई दीप जलाता है   मंजधारे में डूबती नैया    जब कोई पार लगाता है   तब अदना सा वो इंसान मसीहा बन जाता है   क्या दरकार उसे थी तीन तलाक़ हटाने थी   हलाला प्रेमी मौलानाओं के खिलाफ जाने की   क्या क्य भुगता क्या क्या गुजरी ये पूछो उस नारी से   तीन तलाक़ और हलाला झेली उस बेचारी से   घोर घनेरे अंधियारे में जब कोई दीप जलाता है   मझधार में डूबती नैया जब कोई पार लगाता है  तब अदना सा वह इंसान मसीहा बन जाता है  मैं क्या बोलूं क्या बतलाऊ  जिसने किया जीवन समर्पित देश की खातिर मां बहन पत्नी और भाई छोड़ा देश की खातिर क्या समझेंगे क्या जानेंगे ये पीढ़ी दर पीढ़ी सत्ता भोगने वाले ये सत्ता के लोलुप नेता देश जलाने वाले भोली भाली जनता को भड़काने वाले मैं ना कार्य कर्ता भाजपा की ना आलोचक कांग्रेस की मैं एक नारी सीधी साधी घर बार चलाने वाली

तन्हाई

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मर्म जीवन का जो समझ जाती, ये जिंदगी कितनी सरल हो जाती। वफ़ा की न होती तमन्ना किसी से, फितरत जहां की जो समझ जाती, अरमां दिलों में कभी न सजाती। मर्म जीवन का जो समझ जाती, ये जिंदगी कितनी सरल हो जाती। सूनी थी दुनिया सूना जहां था, आओगे तुम दिल को इसका यकीं था, मर्म जीवन का जो समझ जाती, ये जिंदगी कितनी सरल हो जाती। तुमको भुला दूं या खुद को मिटा दूं, ऐ मेरे हमदम तू मुझको बता दे। ‌‌‌‌ तन्हा ये जीवन जी ना सकूंगी, तेरे बिना मैं रह ना सकूंगी। मर्म जीवन का जो समझ जाती, ये जिंदगी कितनी सरल हो जाती। नीरजा

बस इतना सा हक दे दो मुझे

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ऐ मेरे मुंसिफ तू इतना बता दे पढ़ेगी भी बेटी, बढ़ेगी भी बेटी, पर जिएगी कैसे तू इतना बता दे। पढ़ेगी तो बाहर निकलना भी होगा अजनबी लोगों से मिलना भी होगा, पर तू है भोली नाजो में खेली, पोशिदा दरिंदों को पहचान न सकेगी। ऐ मेरे मुंसिफ तू इतना बता दे कि पढ़ेगी भी बेटी, बढ़ेगी भी बेटी, पर जिएगी कैसे तू इतना बता दे देखें है सपना बाबुल की अंखियां बन के अफसर आऊंगी गलियां घर से जो बाहर मैं चली आई, संग में मैं उनकी निंदिया ले आई ऐ मेरे मुंसिफ तू इतना बता दे पढ़ेगी भी बेटी, बढ़ेगी भी बेटी, हर पल ये दहशत है उनके दिल में, वहषी दरिंदों से कैसे बचाऊ, दुनिया की नजरों से कैसे छुपाऊं, विनती जहां से करे हर बेटी, कुमकुम महावर मुझे मत लगाओ, दुर्गा का रूप मुझे मत बनाओ, इतना बस मांगू ऐ मेरे मुंसिफ बेटी हूं बेटी का हक दिलाओ, नीरजा